Thursday, January 2, 2020

Hishtre

जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं। उन्होंने सिर्फ़ 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं।
लक्ष्मीबाई
झाँसी की रानी
Rani of Jhansi, watercolour on ivory, c. 1857.png
फ़र्रूख़ाबाद के नवाब के महल में रानी लक्ष्मीबाई का कलात्मक चित्रण
पूर्ववर्तीगंगाधर राव
उत्तरवर्तीब्रितानी राज
जन्ममणिकर्णिका तांबे
19 नवम्बर 1828 
वाराणसी, भारत
निधन17-18th जून 1858 (उम्र 29)
कोटा की सराय, ग्वालियर, भारत
जीवनसंगीझाँसी नरेश महाराज गंगाधर राव नेवालकर
संतानदामोदर राव, आनंद राव (गोद लिया)
घरानानेवालकर
पितामोरोपंत तांबे
माताभागीरथी सापरे

जीवनीसंपादित करें

रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा
लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ साल की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।[2] सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ